Alisha ansari

Add To collaction

प्रकर्ति



*प्रकार्ति*

 ये जो आसमान है थोड़ा नीला है !
 देखो ना बदलो का पहला है !

 ये जो झेल है खुशी की कतर है !
 देखो ना सुंदर जीवो का इसमे पहरा है !

 ये जो पहाड़िया है एक अजीब दास्तान है !
 देखो न खामोशियों का इसमे पहरा है !

 ये जो फूल है काई में खुशबुओं की पुकार है !
 देखो न खूबसूरतति का इनमे पहरा है

 ये जो चाड है इसमे कितना सुखद है
 देखो ना आसुओं का इसमे पेहरा है

Alisha ansari

   4
1 Comments

Seema Priyadarshini sahay

01-Mar-2022 06:25 PM

बहुत खूब

Reply