*प्रकार्ति*
ये जो आसमान है थोड़ा नीला है !
देखो ना बदलो का पहला है !
ये जो झेल है खुशी की कतर है !
देखो ना सुंदर जीवो का इसमे पहरा है !
ये जो पहाड़िया है एक अजीब दास्तान है !
देखो न खामोशियों का इसमे पहरा है !
ये जो फूल है काई में खुशबुओं की पुकार है !
देखो न खूबसूरतति का इनमे पहरा है
ये जो चाड है इसमे कितना सुखद है
देखो ना आसुओं का इसमे पेहरा है
Seema Priyadarshini sahay
01-Mar-2022 06:25 PM
बहुत खूब
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