आरजू
न ज्यादा आरजू न कोई ख़्वाहिश,
बस इतना ही कहना है,
बस हमको सुकुमार ही
भारत की नारी है,
ना कोई अवला ना बेचारी हैं,
अगर अपने पर आ जाए सारा इतिहास बदल देंगे।
क्यों देते हो टुकड़ों में आरक्षण,
हम भी बराबरी के अधिकारी हैं,
अपने पर आ जाए सारा नागरिक शास्त्र बदल देंगे ।
यह व्याकरण यह समीकरण सब में ,
महारत है हासिल, मत दो चुनौती हमको ,
हम गार्गी के वंशज है सारा शास्त्रार्थ बदल देंगे ।
तुम्हें स्थान दिया है ह्रदय में ,
तुम ह्रदय से करो आभार मेरा,
ना कहो अस्तित्व मेरा तुमसे,सारी पहचान बदल देंगे।
हमे गौरी ,सीता सावित्री ही रहने दो,
ह्रदय से हमारे ममतामयी धार बहने दो,
बन गए हम रणचंडी तो शिव का स्थान बदल देंगे ।
यह कहते हैं महाभारत की रचयिता द्रोपदी है,
कहते सीता रामायण की जननी है,
न सुधरे कलयुग के कौरव तुम तो वही परिणाम बदल देंगे।
हमने अपना सर्वस्व तुमको समर्पण कर डाला,
समझकर इसको विवस्ता तुमने हर भाव मसल डाला ,
रहने दो दया क्षमा हममें नही तो तख्तो ताज बदल देंगे।
बचपन से हमको सिखलाया औरों के लिए जीना है,
त्याग तपस्या सब्र का गर्ल उम्र भर पीना है,
आ गए जिद पर तो सारे भाव परमार्थ बदल देंगे ।
दे दो मान और उचित सम्मान हमें,
मत करो अति जो जगाना पड़े अभिमान हमें,
अति करोगे तो हाथों में चूड़ी की जगह कृपाण बदल लेंगे।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी मातृ शक्तियों को नमन
💐💐🙏🏼🙏🏼
Swati chourasia
08-Mar-2022 08:15 PM
Very beautiful 👌
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Punam verma
08-Mar-2022 07:40 PM
Bahut hi sundar
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Seema Priyadarshini sahay
08-Mar-2022 05:15 PM
बहुत ही खूबसूरत रचना
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