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साहिल

प्यासे ही रहे
साहिल की रेत की तरह,
दिन जलाए कभी
किरणें लपेटकर,
कभी सो गए
लहरें ओढ़ कर,
कितने कदम
दिल से होकर गुजरे,
कितनी स्मृतियाँ
राहों में गुम गयीं,
कितने किनारे
पानी में समा गए,
फिर भी
प्यासे ही रहे !

                     Antima srivastava

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9 Comments

Aliya khan

26-Jun-2021 08:12 PM

Nice

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Antima Srivastava

26-Jun-2021 06:40 PM

Thanks every one

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बहुत ही बेहतरीन रचना 👌👌👌👌

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