बुढापा
बचपन गया, जवानी निकली,
अब आया बुढापा।
रंग बदला, रुप भी ढला,
अब बस घुटनों का स्यापा।
पहले जो लगाता था आसान,
आज उन्हीं कामों ने मचाया,
जिन्दगी में युद्ध घमासान ।
जिन सपनों को देखा जवानी में,
आज वो हंसी का गुब्बारा बन,
हर बार फूटा करता है।
बुढापे में आकर,
समय ही नजारे लूटा करता है।
............ " अनु कौण्डल "..........
Seema Priyadarshini sahay
01-Apr-2022 09:48 PM
बहुत खूबसूरत
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Anam ansari
31-Mar-2022 01:57 PM
Nice
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Gunjan Kamal
31-Mar-2022 07:47 AM
Very nice
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