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बचपन गया, जवानी निकली, अब आया बुढापा। रंग बदला, रुप भी ढला, अब बस घुटनों का स्यापा। पहले जो लगाता था आसान, आज उन्हीं कामों ने मचाया, जिन्दगी में युद्ध घमासान ...