कालिदास की दूसरी रचना अभिज्ञानशाकुंतलम है। अभिज्ञानशाकुंतलम उनकी जगत-प्रसिद्धि का प्रमुख कारण बना था। इस नाटक का अनुवाद अँग्रेज़ी और जर्मन के अलावा अनेक भाषाओं में भी हुआ है। कथावस्तु में राजा दुष्यंत की कहानी है जो आश्रम में रहने वाली एक कन्या शकुंतला से प्रेम करने लगता है। शकुंतला मेनका और विश्वामित्र की बेटी है। विश्वामित्र की अनुपस्थिति में दुष्यंत शकुंतला से गंधर्व विवाह कर निशानी के रूप में अपनी अँगूठी देकर अपने राज्य लौट जाता है। विश्वामित्र के वापस लौटने पर शकुंतला राजा दुष्यंत के पास जाती है तब ऋषि दुर्वासा के शाप के कारण शकुंतला की अँगूठी खो जाती है और दुष्यंत उसे पहचान नहीं पाता। शकुंतला तिरस्कृत होकर कण्व ऋषि के आश्रम में चली जाती है। विस्तृत घटनाक्रम में एक दिन जब वह अँगूठी राजा को मिलती है तब ऋषि का शाप टूटता है। राजा को शकुंतला की याद आती है, वे उसको ढूँढ़ते है और अपना लेते हैं। यह शृंगार रस से भरे काव्यों की एक मार्मिक प्रेम कहानी है, जो बेहद लोकप्रिय है। कहा जाता है कि कालिदास के नाटकों में सबसे अनुपम नाटक अभिज्ञानशाकुंतलम ही है।
Gunjan Kamal
10-Apr-2022 11:59 AM
👌👏🙏🏻
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