आवारा

आवारा

आवारों का कौन ठिकाना
बंजारों सा कौन दीवाना
जहां मिले दिल बस जाएं
रात गुजारें दिन निकले और बस जाएं।

बादल जैसी अपनी फितरत
उड़ते फिरते हवा के संग संग
प्यार से थामे हाथ जो अपना
अपना उसको हम कर जाएं।

चाह नहीं मंजिल की हमको
राहों के मतवाले हम तो
जहां चले वो हम भी जाएं
समय के जैसे चलते जाएं।

नदिया बहे, बहे है झरना
सीखा नहीं कभी भी थमना
वक्त की काई जमे सतह पर
जो रुक जाए तो सड़ जाए।

जीवन का आधार है चलना
सांसों का नित चलते जाना
एक आए और एक फिर जाए
रुकें कभी जीवन थम जाता
बहता लहू पानी बन जाता।।

आभार – नवीन पहल – २४.०४.२०२२ 🌹🌹
# प्रतियोगिता हेतु

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15 Comments

Shnaya

25-Apr-2022 04:39 PM

Very nice 👍🏼

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Seema Priyadarshini sahay

25-Apr-2022 03:17 PM

बहुत खूबसूरत

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Zainab Irfan

25-Apr-2022 03:10 PM

शानदार

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