चरित्र!
चरित्र, पटल पर चित्र बड़ा, श्वेत निराकार
कालिख जो स्याह पुती, खुले न पट सार।
चरित्र ही धन सबसे बड़ा, जीवन का आधार
भूख प्यास से भी अधिक चिंता, सतत अभिसार।
जो क्षति हुई चरित्र को तो, स्वयं से न आँख मिला सकोगे
ऐसी क्षति है ये, दुनिया की सारी दौलत से पा न सकोगे
बन जाओ चाहें, सांवले से गोरे या रंक से राजा हजार बार
चरित्र जो गया तो जीवनपर्यंत दुबारा कभी बना न सकोगे।
जिसने संजोए रखा इसे, बाँधकर दामन से अपने
चरित्र ने भी घोंटे ही होंगे, न जाने कितनों के सपने
झूलती बांजुओ से थामे रखा जिन्होंने कसकर
आग में जलना ही पड़ता है, यदि हो परिपक्व पकने।
धन दौलत सब यहीं रह जायेगा, देह के संग क्या पायेगा
मृत्युपर्यन्त कुछ होगा न तेरा, ऊपरवाले को क्या दिखायेगा?
सब माया है, कर्म ही साया है, तू जो आया है, तेरे संग ये आया है
चरित्र की हानि जो हुई, तो अपमानित जीवन कैसे जी पायेगा?
#MJ
#प्रतियोगिता
©मनोज कुमार "MJ"
Niraj Pandey
08-Jul-2021 08:23 PM
बहुत खूब👌
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Seema Priyadarshini sahay
08-Jul-2021 05:07 PM
अद्भुत..
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मनोज कुमार "MJ"
08-Jul-2021 07:57 PM
Dhanyawad
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Swati chourasia
08-Jul-2021 04:17 PM
Very nice 👌👌
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मनोज कुमार "MJ"
08-Jul-2021 04:44 PM
Dhanyawad
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