Harsh jain

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बरसात



बरसातों में शब भर भीगे भोर के मंज़र प्यासे हैं! 

हमने जो भी गढ़े प्यार के सारे पैकर प्यासे हैं! 

एक नशा सा घोल रहे हैं सबके मन मे ये लेकिन! 

पढो़ गौर से इन नज्मों के सारे अक्षर प्यासे हैं!! 


             हर्ष जैन सहर्ष

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2 Comments

Vfyjgxbvxfg

15-Jul-2021 06:48 PM

बहुत खूब

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Ravi Goyal

15-Jul-2021 05:51 PM

Bahut badhiya 👌👌

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