गम-ए-जुदाई
पल भर में फिसल जाएगा
देखना हाथ से निकल जायेगा
जो टूटेगा तो फिर न संभलेगा
तुम क्या पता ये चल जाएगा।
"ना सहना पड़े गम-ए-जुदाई किसी को
खुदा, न देना तू ऐसी, खुदाई किसी को
सहा भी न जाये, कहा भी न जाये, रहा भी न जाये
चीख ऐसी निकले कि न दे सुनाई किसी को।"
ये मोहब्बत है बस लिबास चलन का
निकले हुए हैं सब लोग पहनकर
दगा कौन किसको देगा, अंदाजा नहीं
अंधाधुंध निकल पड़े अंधे बनकर।
जाने ना, पहचाने ना, मीठी छुरी-कटारी ली
फिर रोना काहे, है ये दर्द मीठा मीठा
चार दिन की चाँदनी, अंधेरी रात है घनी
बदला स्वाद काहे लगे, सब तीखा-तीखा।
एक दिन जो है तेरा बदल जायेगा
दूर तुझसे बहुत वो निकल जायेगा
कैसे सहेगा दर्द जुदाई का तू बोल
क्या इतना बोझ लिए कदम भर चल पाएगा।
"ना सहना पड़े गम-ए-जुदाई किसी को
खुदा, न देना तू ऐसी, खुदाई किसी को
सहा भी न जाये, कहा भी न जाये, रहा भी न जाये
चीख ऐसी निकले कि न दे सुनाई किसी को।"
#MJ
#प्रतियोगिता
©मनोज कुमार "MJ"
Vfyjgxbvxfg
15-Jul-2021 06:49 PM
👌👌👌
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मनोज कुमार "MJ"
15-Jul-2021 09:01 PM
Thank you so much
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Niraj Pandey
15-Jul-2021 05:53 PM
बहुत खूब👌👌
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मनोज कुमार "MJ"
15-Jul-2021 09:01 PM
Bahut shukriya
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Ravi Goyal
15-Jul-2021 05:06 PM
Waah bahut khoob 👌👌
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मनोज कुमार "MJ"
15-Jul-2021 09:01 PM
Thank you
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