मेहक
🌹🌹🌹* मेहक * 🌹🌹🌹
जब से फैली है तेरे बदन की मेहक।
और भी बढ़ गई अन्जुमन की मेहक।
कर रही है मुअ़त्तर मिरे क़ल्ब को।
मिस्ले गुल है तिरे पैरहन की मेहक।
रास आए भला कैसे ग़ुर्बत मुझे।
ज़ह्नों दिल में है मेरे वतन की मेहक।
ज़ुल्फ़ लहरा के तूने जो रक्खे क़दम।
मन्द लगने लगी हर सुमन की मेहक।
लाख सुलगाओ तुम तन्ज़ की बत्तियाँ।
दब न पाएगी ऐहले सुख़न की मेहक।
सजके इस रेशमी पैरहन में सनम।
भूलना मत कभी भी कफ़न की मेहक।
हमने देखा है अकसर जहाँ में फ़राज़।
दिल लुभाती है सबका चमन की मेहक।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ पीपलसाना मुरादाबाद।
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Pallavi
19-Jun-2022 10:01 AM
Beautiful
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Swati chourasia
17-Jun-2022 06:57 AM
Very beautiful 👌👌
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Sona shayari
16-Jun-2022 08:37 PM
Super
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