कर्म
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कर्म का तुम मर्म समझो ऐ पथिक विश्राम मत कर।
कर्म छोटा या बड़ा हो कर्म से तू शर्म मत कर।।
कर्म का है मर्म गीता, उपनिषद् को ध्यान में धर।
कर्म को अर्जुन ने जाना गीता का सन्देश सुनकर।।
धर्म पथ पर यदि चलोगे कर्म पथ खुलते रहेंगे।
राह में यदि शूल होंगे सुमन बनकर वो खिलेंगे।।
तुम पथिक हो यह समझ कर सत कर्म को आगे बढ़ाना।
इतिहास को तुम ध्यान में रख अपने क़दम पीछे ना लाना।।
पूर्वजों ने रच दिया इतिहास जो उसको पढ़ो तुम।
भाल पर रख उनकी चरण रज अब नया भारत गढ़ों तुम।।
निष्काम कर्म का लक्ष्य बना कर अब नया भारत बनाओ।
निस्वार्थ भाव से आगे बढ़ कर नव पीढ़ी को मार्ग दिखाओ।।
कर्म से तुम भाग्य बदलो, कर्म का अवसान मत कर।
कर्म है ईश्वर का चिन्तन, कर्म पर अभिमान मत कर।।
कर्म का तुम मर्म समझो ऐ पथिक विश्राम मत कर।
कर्म छोटा या बड़ा हो कर्म से तू शर्म मत कर।।
Punam verma
27-Jun-2022 08:16 AM
Very nice
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Abhinav ji
27-Jun-2022 07:32 AM
Nice👍
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Swati chourasia
27-Jun-2022 07:31 AM
बहुत ही खूबसूरत बेहतरीन रचना 👌👌
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