कर्म

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कर्म **** कर्म का तुम मर्म समझो ऐ पथिक विश्राम मत कर। कर्म छोटा या बड़ा हो कर्म से तू शर्म मत कर।। कर्म का है मर्म गीता, उपनिषद् को ध्यान ...

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