काश

काश

काश होती ऐसी भी बरसात

तुम होते हम होते साथ साथ

हाथों में लेकर बारिश की बूंदें

मचल उठते कुछ अनकहे से जज्बात।


काश होती ऐसी भी बरसात

मेरा कांधा और तुम्हारा सर

बस कुछ मोती बिखर जाते

और भड़क जाते कुछ सोए हुए लम्हात।


काश होती एक ऐसी भी बरसात

बादलों का झुंड तुम्हारे गालों को चूमता

गर्म पकोड़े और चाय से निकलती भाप

घंटों बिताते साथ साथ खामोश थामे एक दूसरे का हाथ।


काश होती एक ऐसी भी बरसात

लौटा देती जो बचपन की मस्ती

पानी के छपाके और कागज की कश्ती

भूल जाते दुनिया के काम, बस एक बार।


काश होती कुछ ऐसी बरसात

जो बहा ले जाती गमों को अपने साथ

कर देती जीवन को फिर से हल्का

उड़ जाते बैठ बादलों के रथ पर कहीं दूर आकाश।।

आभार – नवीन पहल – ०५.०७.२०२२ ❤️❤️

# प्रतियोगिता hetu


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9 Comments

Saba Rahman

06-Jul-2022 08:56 PM

Nice

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Shrishti pandey

06-Jul-2022 01:22 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

06-Jul-2022 10:04 AM

बेहतरीन रचना

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