shweta soni

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कविता

एक कश्ती चली  है , मेरे सपनों की 

ऐ मल्हार , ये मेरे प्यारे सपने हैं ।

मेरे सपनों सपनों की कश्ती को पार
लगाना 
ऐ मल्हार उन्हें , उनकी मंजिल तक पहुंचाना ।

देखना कहीं कश्ती मेरी डूब ना जाए 
पूरी होने से पहले ही टूट ना जाए ।

गर ये कश्ती डूब गई और मेरा सपना टूट गया 
मैं भी टूट जाऊंगी ।

ऐ मल्हार , मेरी कश्ती पार लगाना 
उन्हें , उनकी मंजिल तक पहुंचाना ।


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5 Comments

Swati chourasia

12-Jul-2022 05:56 AM

Very beautiful 👌

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Shnaya

11-Jul-2022 11:11 PM

बहुत खूब

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Milind salve

11-Jul-2022 06:45 PM

बहुत खूब

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