कविता

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एक कश्ती चली  है , मेरे सपनों की  ऐ मल्हार , ये मेरे प्यारे सपने हैं । मेरे सपनों सपनों की कश्ती को पार लगाना  ऐ मल्हार उन्हें , उनकी मंजिल ...

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