कहाँ हैं वो अफसाने!
"बांधे डोर कई मुझे, सब खींचे अपनी ओर
क्या है तेरा? क्या है मेरा? मैं तो चला ये जग छोड़
अपना और अपनेपन के सारे अफसाने पुराने
बीत गया वो मौसम, आएगा न फिर वो दौर!"
कोई नहीं है अपना, फिर भी उम्मीदें हैं
पलके बोझिल पर आँखों में न नींदे हैं
ख्वाब काँच का है, गिरेगा, बिखर जाएगा
डर आँच का है, पर कैसे निखर पायेगा
दर्द और आँसुओ में बह गई कहानियां
सुकूँ के पल ढूंढने में बीत गयी जिन्दगानियाँ।
कहाँ हैं वो पल पुराने, ढूंढ के लायें उन्हें
कहाँ हैं वो अफसाने, कोई सुनाए उन्हें
नहीं अपना है कोई, न हीं कोई पराया है
सुकूँ की जो बस्ती है, कोई बसाए उन्हें!
किस्सों में ही खूबसूरत लगती है दुनिया
कागज के फूलों पर, बिछ गई दुनियां
खुशबू का कोई मोल नहीं, इत्र के दाम हैं
तेरा-मेरा, मेरा-तेरा बस यही बेलगाम है
हाथ से सब छूट गया, शीशे सा दिल टूट गया
कोई अपना था उस पल में, वो भी रूठ गया
ढूँढा करूँ दरख्तों में वो बचपन की शैतानियां
समझदार कैसे हुआ, माफ करती नहीं नादानियां।
कहां हैं वो पल पुराने, ढूंढ के लाये उन्हें
कहाँ हैं वो अफसाने, कोई सुनाए उन्हें
बंध गयी है धार मोहब्बत की दिल में
तोड़कर सारे बांध अब, कोई बहाए उन्हें।
वो भागना पीछे तितलियों के याद आता है
वो रूठना-मनाना पल में, बहुत रुलाता है
शरारते जैसे इस दुनिया में बाकी ही नहीं
मगर इनके बिना, सबकुछ भी काफी नहीं
इक दौर जो बीत गया, रीत का वो प्रीत का
कैसे भूल जाए कोई, मौसम सुहाना गीत का
भूल गए बरस से, वो बरसो की मनमानियां
जिम्मेदारियों के नीचे, दब गई हैं सारी कहानियां।
कहाँ हैं वो पल पुराने, ढूंढ के लाये उन्हें
कहाँ हैं वो अफसाने, कोई सुनाए उन्हें
जीने दे ज़िंदगी फिर से, जिंदगी को जी भर
नया दौर आएगा, गीत प्रेम का सुनाए उन्हें।
#MJ
#प्रतियोगिता
Aliya khan
06-Aug-2021 08:08 AM
Bahut khoob
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मनोज कुमार "MJ"
06-Aug-2021 09:53 AM
Thank you
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Zakirhusain Abbas Chougule
05-Aug-2021 03:54 PM
Nice
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मनोज कुमार "MJ"
05-Aug-2021 06:47 PM
Thank you
Reply
Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI
04-Aug-2021 08:00 PM
Nice
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मनोज कुमार "MJ"
05-Aug-2021 07:29 AM
धन्यवाद
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