संसार
सारा तेरी अदालत है
वाह रे ईश्वर तेरी क्या कुदरत है।
कभी बनता कभी मिटाता है
सारे संसार को तेरी ज़रूरत है।
मिल कर रहे सारे यहां भला
उसमें दिखती तेरी इबादत है।
पता नहीं कैसी ये सृष्टि रची
दिखती हर जगह तेरी हिम्मत है।
लोग हैं भले बुरे मधु सब यहांँ
अच्छे लोगो की यहांँ सदा जुर्रत है।।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा
Punam verma
21-Jul-2022 09:23 AM
Very nice
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Abhinav ji
21-Jul-2022 08:50 AM
Nice 👍
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Swati chourasia
21-Jul-2022 06:39 AM
बहुत खूब 👌
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