पतझड़

पतझड़

शाख पे बोझ से लटके, न जाने क्यूं हैं अटके
सूखे जर्द पड़े पत्ते दिखलाते पतझड़ आने वाला है
एक रिश्ता जो जन्मा, फला फूला मुस्कुराया
शायद उसे अलविदा कहने का समय आने वाला है।

कोई हरा भरा पेड़ ठूंठ सा खड़ा नजर आयेगा
कल तक जो दे रहा था साया प्रेम का सबको
वो आज अपने ही अस्तित्व पे सवाल उठाएगा
क्यूं खड़ा है राह में अगर किसी को सुकून ही न दे पाएगा।

उसका होना भी शायद किसी को रास न आयेगा
ना फल, ना फूल, न पत्ते ये सवाल जेहन में खायेगा
जो खुद को ना संभाल सका, बिखर गया जर्रा जर्रा
वो कैसे किसी को प्यार से अपने सींच पाएगा।

ये दास्तान सिर्फ पेड़ की नहीं हम सभी की है
हम सब की जिंदगी में भी दौर एक आएगा
हर कोई वक्त के पतझड़ की मार जरूर खायेगा
दिल से निभाया हरेक रिश्ता कोई काम न आयेगा
या तो जला दिए जाओगे, या गर्त में दफनाया जायेगा।।

आभार – नवीन पहल – २८.०७.२०२२ 🌹💐🙏🏻🙂

# प्रतियोगी


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12 Comments

Rahman

30-Jul-2022 10:36 PM

Nyc

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Gunjan Kamal

30-Jul-2022 12:56 PM

बहुत खूब

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Khan

29-Jul-2022 11:24 PM

Nice

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