पतझड़ शाख पे बोझ से लटके, न जाने क्यूं हैं अटके सूखे जर्द पड़े पत्ते दिखलाते पतझड़ आने वाला है एक रिश्ता जो जन्मा, फला फूला मुस्कुराया शायद उसे अलविदा कहने ...

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