Sarfaraz

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स्वैच्छिक

🌹🌹🌹* ग़ज़ल * 🌹🌹🌹

अपनी तक़दीर आज़मा कर देख।
तीर  कोई  नया  चला  कर देख।

आईना   हँस   के   देखने   वाले।
मेरी जानिब भी मुस्कुरा कर देख।

हर मुसीबत का हल मिलेगा तुझे।
दिल किताबों से तू लगा कर देख।

लुत्फ़  आएगा  जान  देने  में।
जाँ वतन पर ज़रा लुटा कर देख।

ऐ़ब   औरों   के   ढूँढने   वाले।
अपना बातिन भी सर झुका कर देख।

हम सा दूजा न मिल सकेगा तुझे।
दिल जला या के घर जला कर देख।

हर सू ख़ुशियाँ फ़राज़ छायेंगी।
अपना दिलबर मुझे बना कर देख।

सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ मुरादाबाद।

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

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13 Comments

Mithi . S

01-Aug-2022 05:17 PM

Nice 👍

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Pankaj Pandey

31-Jul-2022 08:11 PM

Nice post

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Saba Rahman

31-Jul-2022 07:33 PM

😊😊😊

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