V.S Awasthi

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चित्रांकन




चित्रांकन
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कोमल बदन मोहनी सूरत
भाल पे तिलक है लाल
नयनों में बिराजी निंदिया रानी
मन मोह रहे नन्दलाल

कोमल लाल कपोल हैं ऐसे
जैसे प्रभात का दिनकर
नींद ले रहे जगत के पालक
जसुदा मइया के घर पर

मोर मुकुट की लगी है तकिया
सुन्दर घुंघराले बाल
तन पर वस्त्र सुशोभित है
और गले पड़ी जयमाल

कर में है बंशुरी बिराजी
कस कर पकड़े हैं हाथ
धन्य हो गई वो बंशी भी
कान्हा का मिला जो साथ

ऐसी सुन्दर मोहिनी मूरत
पथिक देख कर हर्षाए
नयन कह रहे श्री कान्हा से
ये सूरत नयनों में बस जाए

विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर

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8 Comments

Pankaj Pandey

05-Aug-2022 04:45 PM

Behtarin rachana 👌

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shweta soni

05-Aug-2022 10:21 AM

Bahut achhi rachana 👌

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Khan

05-Aug-2022 12:11 AM

Nice

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