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इश्क़




मुझसे बिछड़के इश्क़-ए-जज़ा काट रहे है।
अपने हाथों से सब अपना गला काट रहे है।

मैं काटता  हूँ  इन दिनों गुलशन की बहारे,
यूँ  लोग मुझसे हिर्स-ओ-हवा काट रहे है।

तारिक़ अज़ीम 'तनहा'

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2 Comments

Raziya bano

09-Sep-2022 06:38 PM

Superb

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Gunjan Kamal

09-Sep-2022 06:37 PM

शानदार

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