आज़ाद
🌹🌹🌹🌹ग़ज़ल 🌹🌹🌹🌹
भुलाने शामे ग़म के हाय अफ़साने कहाँ जाते।
न होते जो ये मयख़ाने तो दीवाने कहाँ जाते।
न मिलता साक़िया हमको तुम्हारा दिलनशीं दर तो।
लिए हाथों में अपने हम ये पैमाने कहाँ जाते।
बहुत अच्छा किया ऐ शम्अ़ इनको राख कर डाला।
नहीं तो ले के ज़ख़्मी पर ये परवाने कहाँ जाते।
अजब रब की मशीयत है के इक पर एक है फ़ाइ़ज़।
जो ग़ालिब होते ऐहल ए दिल तो फ़रज़ाने कहाँ जाते।
तुम्हीं दामन बचा लेते अगर हमसे सनम अपना।
तो लेकर हम ह़सीं फूलों के नज़राने कहाँ जाते।
तुम्हारी दीद से ही जब सुकूँ मिलता है ऐ दिलबर।
तुम्हारे दर से उठकर फिर ये मस्ताने कहाँ जाते।
जहां में कौन था हमदर्द इनका ऐ फ़राज़ आख़िर।
हमारे घर नहीं आते तो वीराने कहाँ जाते।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ पीपलसाना मुरादाबाद उ0प्र0।
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Punam verma
18-Aug-2022 08:12 AM
Very nice
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Chetna swrnkar
17-Aug-2022 07:34 PM
Bahut khub
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Seema Priyadarshini sahay
17-Aug-2022 06:36 PM
बहुत खूबसूरत
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