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इक साथी

मिल रहीं हैं तारीफों में भर के, छोटी छोटी खामियां
देखे न जाते हिस्से जीत के, गिनाने आते नाकामियां।
यहां किसको फर्क है,  कि तुझे कितना दर्द है
मशहूर होते सब मिलेंगे, दिखती नहीं उन्हें परेशानियां।

ये जो दर्द को हमने सहा है, चुपचाप होंठ सीले हुए
ये इन काले नागों का जहर हैं, देख चेहरे कैसे नीले हुए
हार में ना कोई तेरा, जीत में सबकी हिस्सेदारी होगी
गम में तेरे न कोई तेरा, खुशियों में जेब सबके ढीले हुए।

मैं अकेला, इक प्रहरी! मैं ही योद्धा हूं इस द्वंद का
मुझे न चाहिए आस्तीन के सांप, दिलासे ढोंग का
मैं जीता आया, मैं हारा आया, मैं लड़ रहा, हार न माना
मुझको मंजूर है ये संग्राम, आत्म विक्षत प्रतिद्वंद का।

मुझे चाहिए बस इक साथी, जो कि मेरा साथ दे
जब गिरू कभी, संभाले मुझे अपना हाथ दे
क्या करेगा भीड़ का कोई, अपनो का बसर कहां
बस इक साथी हो ऐसा, फिर जीत लेंगे सारा जहां।

#MJ
© मनोज कुमार "MJ"



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8 Comments

Niraj Pandey

14-Aug-2021 11:45 AM

बहुत खूब👌👌

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Seema Priyadarshini sahay

14-Aug-2021 12:23 AM

बहुत खूबसूरत

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Swati chourasia

13-Aug-2021 08:47 PM

Very nice

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