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दिल




ग़में-हिज़्र यूँ गुज़ारा गया है,
दिल तुम्हीं पर हारा गया है।

हम तो जंग में मरने वाले थे, 
हमें उलफ़त में मारा गया है।

दिल पर चोट हमारे है लेकिन,
निशां-ए-चोट ज़रारा गया है।

हर बार मुझसे नफ़रत करके,
हर बार मुझे नकारा गया है।

ऐ! पुर-सुकूँ नींद सोने वाले,
हर शब तुझे पुकारा गया है।

घर लौटने की जल्दी में 'तन्हा',
एक और शख़्स मारा गया है।

तारिक़ अज़ीम 'तनहा'

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2 Comments

Raziya bano

25-Aug-2022 06:36 PM

Superb

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Khushbu

25-Aug-2022 06:34 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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