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ग़में-हिज़्र यूँ गुज़ारा गया है, दिल तुम्हीं पर हारा गया है। हम तो जंग में मरने वाले थे, हमें उलफ़त में मारा गया है। दिल पर चोट हमारे है लेकिन, निशां-ए-चोट ...