जज़्बात
धड़कन की शहनाई बजे
पूरे चांद की रात
और काश तेरा हो साथ
और रोशनी में चांद की
हम करें हज़ारों बात
न वक़्त की हो पाबंदी
न रस्मों की परवाह
आंखों में आंखे डाले
कह दें सारे जज़्बात
पलकें भी हों भीगी सी
पर दिल में सुकूं हो फिर भी
सिर कंधे पर मैं रख लूं
हाथों में थाम के हाथ
जब इश्क़ की इंतेहा हो
पर चाह न हो जिस्मों की
धड़कन की शहनाई बजे
हो ख्वाबों की बारात
प्रीति ताम्रकार
जबलपुर
Swati chourasia
18-Aug-2021 03:03 PM
Very beautiful 👌
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Shilpa modi
18-Aug-2021 07:01 AM
बहुत बढिय़ा
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Niraj Pandey
18-Aug-2021 06:44 AM
वाह👌
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