लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८- श्रेय
19-श्रेया का एक और ऑपरेशन
श्रवन, उसकी मां और श्रेया के माता-पिता सभी ऑपरेशन थिएटर के बाहर खड़े हुए थे। वह लोग हाथ जोड़कर भगवान से श्रेया के सफल ऑपरेशन की प्रार्थना कर रहे थे। अंदर से निराशा को आशा में बदलने का पूर्ण विश्वास लेकर सभी हाथ जोड़े खड़े हुए थे। नर्स में श्रेया को ऑपरेशन टेबल पर सेट किया, और अच्छे से श्रेया के पेट की सफाई की। सफाई करने के बाद डॉक्टर ने उसे बेहोशी का इंजेक्शन दिया। यूं तो श्रेया बेहोश ही थी, परंतु फिर भी उसको बेहोशी का इंजेक्शन दिया गया। इंजेक्शन देने के बाद डॉक्टर ने अच्छे से पहले उसका परीक्षण किया। ड्रिप लगाई गई और जरूरी इंजेक्शन लगाए। बी पी और ऑक्सीजन नापने के लिए मॉनीटर लगाया।
अब डॉक्टर्स की टीम श्रेया के ऑपरेशन के लिए तैयार थी। सभी श्रेया के चारों ओर खड़े हुए थे। श्रेया का ऑपरेशन अभी चार दिन पहले ही हुआ था। डॉक्टर ने श्रेया का वही ऑपरेशन फिर से खोला। अरे...... यह क्या...... श्रेया के पेट से पस निकलने लगा था। उसको देखते ही डाॅक्टर्स बोले। ये सब संक्रमण की वजह से हुआ है। धीरे धीरे पस बह रहा था। डॉक्टर ने श्रेया के पेट के सभी टांके खोल दिए थे। अब श्रेया के पेट से बड़ी तेजी से पस बाहर आ रहा था। देखते ही देखते थोड़ी देर में सारा पस श्रेया के पेट के बाहर आ गया। फिर डॉक्टर से उसे अच्छे से कॉटन से सफाई किया सफाई करने के बाद उन्होंने श्रेया के पेट में देखना चाहा कि इस सबकी वजह क्या है??? किस वजह से उसकी ऐसी हालत हो गई है। बहुत कोशिशों के बाद डॉक्टर को सफलता मिली उन्हें एहसास हुआ के श्रेया के पेट में कुछ धातु जैसा महसूस हो रहा था। डॉ स्नेह ने काफी कोशिशों के बाद श्रेया के पेट से एक छोटा सा नसर बाहर निकाला। उसको देखकर डॉक्टर्स की टीम भी अचंभित हो गई।कि डॉक्टर इतनी बड़ी लापरवाही कैसे कर सकता है मरीज की जान को जोखिम में कैसे डाल सकता है।हमारे डॉक्टरी पेशे में जब हमें एक कसम दिलाई जाती है। तो हमें मरीज की जान बचाने के लिए ही कसम दिलाई जाती है, मरीज के साथ अच्छा व्यवहार करने कि उसे बचाने की कसम दिलाई जाती है।और मरीज भी डॉक्टर्स को अपना भगवान मानते हैं। परंतु भगवान ही अगर शैतान बन जाए तो फिर क्या कहना।वही श्रेया के साथ भी हुआ था। जिस डॉक्टर पर श्रवन और श्रेया अपनी जान से भी ज्यादा भरोसा कर रहे थे। आज उसी डॉक्टर की वजह से श्रेया की जान जाने वाली थी। अगर श्रेया के माता-पिता वक्त पर न आते।और डॉक्टर अस्पताल बदलने की बात ना करते तो शायद श्रेया वहीं दम तोड़ देती। यह तो अच्छा हुआ जो श्रेया के माता-पिता का जिन्होंने डॉक्टर और अस्पताल बदलने की बात कही।अस्पताल बदलने के बाद ही तो ऑपरेशन में श्रेया के साथ हुई लापरवाही का पता चला है।
अभी ऑपरेशन थिएटर का दरवाजा खुला नर्स ने आकर श्रवन से दो यूनिट खून का इंतजाम करने के लिए कहा।। क्योंकि श्रेया का खून तो पस बनकर शरीर से बह चुका था।अब श्रेया के शरीर को खून की जरूरत थी।उसका इंतजाम बहुत जल्दी से करना था। आनन-फानन में पता चला कि श्रेया और श्रेया के भाई का ब्लड ग्रुप एक ही था। तुरंत श्रवन ने श्रेया के भाई को फोन किया। भाई घर पर मौजूद नहीं था। जैसे तैसे श्रेया के भाई से संपर्क हुआ और उसे तुरंत हॉस्पिटल आने को कहा- श्रेया का भाई आनन-फानन में एक सेम ब्लड ग्रुप वाले अपने दोस्त को भी लेकर आया। और दोनों ने आकर, श्रेया के भाई और उसके दोस्त ने श्रवन को सांत्वना दी। और श्रेया के लिए रक्तदान किया।तुरंत वह खून श्रेया को चढ़ाया गया। श्रेया का ऑपरेशन सफल रहा। अभी जब तक श्रेया को होश नहीं हो जाता। तभी तक थोड़ी सी परेशानी है। श्रेया को होश आने पर सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा।
उधर घर पर रक्षा का पूजा-पाठ लगातार चल रहा था और रक्षा बहुत जल्द ही शुभ सूचना पाने का इंतजार भी कर रही थी। आज पांच दिन पूजा-पाठ को चलते हो चुके थे। रक्षा पूरी तन्मयता से भक्ति भाव रख भगवान में विश्वास रख यह पाठ करवा रही थी। उसे पूरा विश्वास था कि पाठ खत्म होते होते। उसकी भाभी को होश जरूर आ जाएगा ऐसा उसके मन का विश्वास था। इसलिए वह पूरे तन मन धन से पूजा पाठ में लगी हुई थी। परंतु फिर भी उसके कान फोन की घंटी पर लगे रहते।उसे इंतजार रहता है कि अस्पताल से कोई अच्छी खबर आए। इतने भी फोन की घंटी बजी। रक्षा ने दौड़कर फोन उठाया। फोन श्रवन का ही था ।रक्षा ने श्रवन से श्रेया के बारे में पूछा। श्रवन ने कहा ऑपरेशन चल रहा है ऑपरेशन खत्म हो। और डॉक्टर बाहर निकले तो कुछ पता चले। पता चलते ही मैं तुम्हें बताता हूं। कहकर श्रवण ने बात खत्म कर दी थी। कि अचानक ऑपरेशन थिएटर का दरवाजा खुला।
डॉक्टर साहब बाहर आए, और उन्होंने श्रेया के बारे में बताया। कि उसका ऑपरेशन सफलतापूर्वक हो गया है, श्रेया के पेट में एक 'नस्तर' मिला है, जिसकी वजह से उसकी यह हालत खराब हुई जा रही थी। उसके पेट में इंफेक्शन फैल गया था और बहुत सारा मवाद पड़ गया था। अभी सारा मवाद और नस्तर मैंने निकाल दिया है। पर होश आने तक कुछ नहीं कहा जा सकता है। बस होश आ जाए तो सब ठीक क हो जाएगा। और होश आने में समय लगेगा। काफी बड़ा ऑपरेशन था और श्रेया की हालत ऐसे ही बहुत नाजुक थी। इसके शरीर सारा खून तो मवाद बन के बह गया है, होश आने में समय लगेगा इंतजार कीजिए। भगवान सब अच्छा करेंगे।
उधर घर पर पूजा पाठ का छठवां दिन चल रहा था। पूजा की गतिविधि और तेज हो पूर्णता की ओर जा रही थी। और शायद पूजा पूर्ण होते होते श्रेया को होश भी आ जाए। रिकवरी होने में समय तो लगेगा परंतु एक बार होश आ जाएगा तो एक उम्मीद की और खुशी की लहर दौड़ जाएगी। इतने में बच्चे की रोने की आवाज आई और सभी का ध्यान उसकी तरफ चला गया। वह भी शायद भगवान से अपनी मां की जिंदगी के लिए प्रार्थना कर रही थी।
Gunjan Kamal
26-Sep-2022 05:37 PM
बहुत ही सुन्दर
Reply
Mithi . S
23-Sep-2022 04:38 PM
Bahut khub 👌
Reply
Ekta shrivastava
22-Sep-2022 11:45 PM
Nice👏👏
Reply