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काजल




यक़ीन तो यही है के काजल हो जाएंगे,
और न हुए तो हम फिर जल थल हो जाएंगे।

मैं लिखते लिखते हुशियार हो जाऊँगा,
मुझको ये पढ़ने वाले सब पागल हो जाएंगे।

जो आज आज तुझको मयस्सर है हम,
एक दिन होगा कि हम भी कल हो जाएंगे।

आप गर इस तरह से ज़ुल्फ़ें खोलेंगे तो,
महफ़िल में सबके सब पागल हो जाएंगे।

देखे है ख़्वाब इसी उम्मीद में 'तनहा',
कभी तो होगा कि सब मुक़म्मल हो जाएंगे।

तारिक़ अज़ीम 'तनहा"

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7 Comments

Pratikhya Priyadarshini

13-Sep-2022 05:51 PM

Bahut khoob 🙏🌺

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Palak chopra

13-Sep-2022 04:41 PM

Bahut khoob 💐👍

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Gunjan Kamal

13-Sep-2022 08:50 AM

बहुत ही सुन्दर

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