Sapna shah

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लकीरें


जो चाहों वो मिल जाए 
बिन मांगे ख्वाहिशे पुरी हो जाए 

दुःख का कहीं साया ना हो 
खुशियों की रोज बरसात हो 

पलभर भी मन में मायुसी ना छाए
सुख में जिन्दगी कट जाए 

सभी ख्वाबों खयालो की बातें 
मिलता वहीं जो लकीरें कहे 

सुख-दुःख तो धूप छाँव से आते रहते 
हर घड़ी रंग बदलते रहते  

हाथों में  है लकीरें ,पर मेरे बस में नहीं 
मुट्ठी में भर लूँ पलभर ,पर बदल सकूँ नहीं 

अपने ही कर्म लिखते तकदीर है 
लकीरें अपने कर्मो की तस्वीर हैं 

हारकर बैठें रहे ए भी तो कोई बात नहीं 
और कोशिश भी ना करें ए भी तो कोई बात नहीं ...!!!

🌈...............सपना ...............🌈

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16 Comments

Swati chourasia

20-Aug-2021 03:23 PM

Very nice

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Sapna shah

20-Aug-2021 03:24 PM

Thank u😊

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Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI

20-Aug-2021 02:40 PM

Sundar

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Sapna shah

20-Aug-2021 03:24 PM

Thank u😊

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Niraj Pandey

20-Aug-2021 02:14 PM

वाह👌👌

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Sapna shah

20-Aug-2021 03:23 PM

Thank u 😊

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