सावन

------------------!! सावन !!-----------------
सावन  सा  पावन कुछ हो तो,
वह  केवल  सावन   ही  होगा।
शिव  की भक्ति  प्रेम की धारा,
वह   केवल  सावन  ही  होगा।
मेघों  के  सुन्दर  बादन   से, जब  रिमझिम  बूंदे पड़ती हैं।
धरती  जब संतृप्त   हुई  हो, वह  केवल  सावन ही  होगा।।

त्यौहारों   के    मेले    हो   तो,
वह   केवल  सावन  ही  होगा।
घर-आँगन जब खिलते हो तो,
वह   केवल  सावन  ही  होगा।
खिलते रंग-बिरंगे फूलों से, जब वन उपवन सब दिखते हैं।
धानी  चूनर  जब  सजती हो, वह केवल  सावन ही  होगा।।

नारी   का   श्रृंगार   जहाँ   हो,
वह   केवल  सावन  ही  होगा।
बहनों   में  जब  नेह  भरा  हो,
वह   केवल  सावन  ही  होगा।
भाई  मिल  करके बहनों से, जब  पावन  प्रेम  दिखाते हैं।
मन जब फूलों सा कोमल हो, वह केवल सावन ही होगा।।

पशु स्वच्छंद  विचरण करते हो,
वह   केवल   सावन  ही  होगा।
खग   हों   सुन्दर  गगन  नापते,
वह   केवल   सावन  ही  होगा।
यूँ  नभ  से  पानी  की बूंदें,  जब पवन साथ में चलती हैं।
सुन्दर  खेतों  में  कंघी  हो, वह  केवल  सावन ही  होगा।।

हरियाली  का "राज" जहाँ  हो,
वह   केवल   सावन  ही  होगा।
फूलों   से  "प्रिय"  कलियाँ  हो,
वह   केवल  सावन   ही  होगा।
निशदिन  गीत  संगीत भजन, जब इन कानों में पड़ते हैं।
हृदयान्चल जब पुलकित हो, वह केवल सावन ही होगा।।

शीतलता   चहुँओर   जहाँ  हो,
वह   केवल   सावन  ही  होगा।
इन्द्रधनुष   के   रंग   सजे   हो,
वह   केवल   सावन  ही  होगा।
पतले    रेशम    के    धागे,  जब इन  हाथों  में  बंधते  हैं।
प्रेम समर्पण भाव जहाँ हो, वह  केवल  सावन  ही  होगा।।
✍राजेश कुमार कुशवाहा "राज"
      सीधी(मध्यप्रदेश)

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2 Comments

Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI

21-Aug-2021 03:39 PM

Nice

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Swati chourasia

21-Aug-2021 03:19 PM

Very beautiful 👌

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