लेखनी कहानी -16-Nov-2022 महान् मत्स्य
*महान् मत्स्य*
श्रावस्ती के निकट जेतवन में कभी एक जलाशय हुआ करता था। उसमें एक विशाल मत्स्य का वास था। वह शीलवान्, दयावान् और शाकाहारी था।
उन्हीं दिनों सूखे के प्रकोप के उस जलाशय का जल सूखने लगा। फलत: वहाँ रहने वाले समस्त जीव-जन्तु त्राहि-त्राहि करने लगे। उस राज्य के फसल सूख गये। मछलियाँ और कछुए कीचड़ में दबने लगे और सहज ही अकाल-पीड़ित आदमी और पशु-पक्षियों के शिकार होने लगे। अपने साथियों की दुर्दशा देख उस महान मत्स्य की करुणा मुखर हो उठी। उसने तत्काल ही वर्षा देव पर्जुन का आह्मवान् अपनी ठसच्छकिरिया' के द्वारा किया। पर्जुन से उसने कहा, "हे पर्जुन अगर मेरा व्रत और मेरे कर्म सत्य-संगत रहे हैं तो कृपया बारिश करें।" उसकी सच्छकिरिया अचूक सिद्ध हुई। वर्षा देव ने उसके आह्मवान् को स्वीकारा और सादर तत्काल भारी बारिश करवायी।
इस प्रकार उस महान और सत्यव्रती मत्स्य के प्रभाव से उस जलाशय के अनेक प्राणियों के प्राण बच गये।
मूर्ख करे जब बुद्धिमानी का काम !@xyz@द्रन्थ कथाएं
वाराणसी नरेश के राज-बगीचे में कभी एक माली रहता था। वह दयावान् था और उसने बगीचे में बंदरों को भी शरण दे रखी थी। बंदर उसके कृपापात्र और कृतज्ञ थे।
एक बार वाराणसी में कोई धार्मिक त्यौहार मनाया जा रहा था। वह माली भी सात दिनों के उस जलसे में सम्मिलित होना चाहता था। अत: उसने बंदरों के राजा को अपने पास बुलाया और अपनी अनुपस्थिति में पौधों को पानी देने का आग्रह किया। बंदरों के राजा ने अपनी बात सहर्ष स्वीकार कर ली। जब माली बाग से चला गया तो उसने अपने सारे बंदर साथियों को बुलाकर उनसे पौधों को पानी देने की आज्ञा दी। साथ ही उसने उन्हें यह भी समझाया कि बंदर जाति उस माली की कृतज्ञ है इसलिए वे कम से कम पानी का प्रयोग करें क्योंकि माली ने बड़े ही परिश्रम से पानी जुटाया था। अत: उसने उन्हें सलाह दी कि वे पौधों की जड़ों की गहराई माप कर ही उन पर पानी ड़ाले। बंदरों ने ऐसा ही किया। फलत: पल भर में बंदरों ने सारा बाग ही उजाड़ दिया।
तभी उधर से गुजरते एक बुद्धिमान् राहगीर ने उन्हें ऐसा करते देख टोका और पौधों को बर्बाद न करने की सलाह दी। फिर उसने बुदबुदा कर यह कहा-"जब कि करना चाहता है अच्छाई। मूर्ख कर जाता है सिर्फ बुराई।।"