मन्ज़िले
कितने मोड़ जिन्दगी के,पता देते मंजिलों का,
कितने तन्हां सफर,पता देते काफिलों का।
कौन है किसका यहाँ,अपनी सासें भी फरेबी,
न पता कुछ जिन्दगी के फलसफों का।
आँखों में ख़्वाब अनगिनत हैं,इसमें क्या गलत,
होंगे हकीकत एक दिन बस साथ रख हौंसलो का।
सीसे सा नाजुक दिल लेकर न जा उस गली,
पछताएगा एक दिन रास्ता न चुन पत्थरों का।
क्यों लगा बैठे हो उम्मीद किसी से बफा की,
किसी ने बताया न तुमको शहर है यह काफिरों का।
कैसे एकपल में सौप दूँ खुदको तुम्हें,
सौ इन्तहा बाकी दौर है यह आजमाइशों का।
अभी तो सफर हुआ शुरू और मंजिलों का पता नहीं,
कर ले दिल को पत्थर दौर हैं बड़ा दिक्कतों का।
मैं रहूँ खामोश तुम भी उफ न करना सनम,
बस दिल तक ही रहने दो शोर यह मोहबतों का।
गुल से नाजुक तबियत तुम गलत राह आ गए,
छोड़ो नाज़ुकपन सनम शहर है यह बीहड़ों का।
किससे करते उम्मीद सच की कोई देगा साथ न,
हर शख्स है मतलबी अपनापन लिए गीदड़ों सा।
आओ हम हो जाएं एक दूसरे के बसा लें अपनी दुनिया कुछ पल को तोड़ दे पिजड़ा जहां की बंदिशों का।
कुछ तो कह जा आखिरी वक्त बिछड़ने से पहले,
जो लगाकर रखें हम तेरी याद में सीने से तसल्लियों सा।
Arshi khan
03-Sep-2021 11:44 AM
बहुत khoob
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Renu Singh"Radhe "
03-Sep-2021 10:59 AM
बहुत खूब
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Miss Lipsa
02-Sep-2021 09:13 PM
Are waah waah really best hai
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