Madhu Arora

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व्यथा

व्यथा
आंखों में धारा बन बहती है,
व्यथा हृदय की कहती रही।
बेरंग हुआ है यह जीवन,
जब से गए हो तुम साजन।

सांसों का आना-जाना झूठा,
समीर मेघे का बहना झूठा।
मन को नहीं लुभाता मेरे,
लगता है सब कुछ भी झूठा।

प्यार प्रीत नजराना भूले,
मुस्कुराना तेरे प्यार में भूले।
जब देख मुझे मुस्कुराता था,
वह बात बता अब कैसे भूले।

रूठा है जब से तू मुझसे,
दिल के अरमा कहे किससे।
मोहब्बत का तराना भूले,
हाले दिल का फसाना भूले।

सांत्वना भरे दो बोल किसी के,
मरहम ना बन पाए मेरा।
कमी तेरी सदा खली है,
आंसू की पीर कहे अब किससे।
               रचनाकार ✍️
               मधु अरोरा
  

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6 Comments

Rajeev kumar jha

11-Dec-2022 12:15 PM

बहुत सुंदर

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Supriya Pathak

10-Dec-2022 08:51 PM

Bahut achha 💐

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Pranali shrivastava

10-Dec-2022 07:35 PM

शानदार

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