Madhu varma

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लेखनी कहानी - आत्मा के सुख की परवाह नहीं करते - डरावनी कहानियाँ

आत्मा के सुख की परवाह नहीं करते - डरावनी कहानियाँ

 इस प्रकार हम देखते हैं कि शरीर के स्वार्थ और आत्मा के स्वार्थ आपस में मेल नहीं खाते, एक के सुख में दूसरे का दु:ख होता है। दोनों के स्वार्थ आपस में एक-दूसरे के विरोधी हैं। इन दो विरोधी तत्वों में से हमें एक को चुनना होता है। जो व्यक्ति अपने आपको शरीर समझते हैं, वे आत्मा के सुख की परवाह नहीं करते और शरीर सुख के लिए भौतिक सम्पदाएं, भोग सामग्रियां एकत्रित करने में ही सारा जीवन व्यतीत करते हैं। 

ऐसे लोगों का जीवन पशुवत् पाप रूप, निकृष्ट प्रकार का हो जाता है। धर्म, ईश्वर, सदाचार, परलोक, पुण्य, परमार्थ की चर्चा वे भले ही करें, पर यथार्थ में उनका पुण्य परलोक स्वार्थ साधन की ही चारदीवारी के अन्दर होता है। यश के लिए, अपने अहंकार को तृप्त करने के लिए, दूसरों पर अपना सिक्का जमाने के लिए वे धर्म का कभी-कभी आश्रय ले लेते हैं।

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