Madhu varma

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लेखनी कहानी - धावक - डरावनी कहानियाँ

धावक - डरावनी कहानियाँ

 मैं अपनी शिफ्ट ख़तम कर के घर आ रहा था| उस समय रात के करीब बारह बज रहे होंगे| अचानक एक लड़का (10 – 11 साल ) मेरी बाइक से टकरा गया! टक्कर बहुत तेज़ थी| मुझे लगा वह लड़का मर गया होगा| मैंने बाइक रोक कर देखा तो मुझे वो लड़का नहीं दिखा| अंधेरे में कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था| मैं थोडा घबरा गया| मगर वह लड़का अचानक से मेरे सामने आ गया| वह मुझे घूर घूर कर देख रहा था| मैंने चैन की सांस ली| और बाइक में बैठ कर चलने लगा| वह लड़का भी मेरे साथ भागने लगा| वह अभी भी मेरी तरफ घूर घूर के देख रहा था| उसकी नज़र सड़क की तरफ बिलकुल नहीं थी, वह सिर्फ मेरी ओर देख रहा था| मैंने बाइक की स्पीड बढ़ा ली मगर वह लड़का और तेज़ भागने लगा| मैं जितनी तेज़ बाइक चलता वह भी उतनी तेज़ भागने लगता| मेरी स्पीड 80 के आस पास पहुँच गई मगर वह लड़का मेरे साथ साथ ही भागता रहा और एक बार भी आगे नहीं देखा| मुझे काफी डर लगने लगा था| मैं भगवन को याद करने लगा और उसकी तरफ बिलकुल नहीं देखा| जैसे तैसे मैं घर पहुंचा| मैंने अपने आस पास देखा| वो लड़का अब नहीं था| मगर उस रात दो तीन बार दरवाज़ा खटखटाने की आवाज़ आई | खोल के देखा तो कोई नहीं था| ऐसा दो तीन दिन तक चलता रहा| फिर मैंने अपने घर के दरवाज़े पर ॐ चिपका दिया| उसके बाद से ये सब बंद हो गया और मैंने अपने ऑफिस जाने का रास्ता भी बदल लिया|

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