Madhu varma

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लेखनी कविता - ध्वज-वंदना -रामधारी सिंह दिनकर

ध्वज-वंदना -रामधारी सिंह दिनकर

नमो, नमो, नमो।

 नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो !
नमो नागाधिराज - श्रृंग की विहारिणी !
नमो अनंत सौख्य-शक्ति-शील-धारिणी!
प्रणय-प्रसारिणी, नमो अरिष्ट-वारिणी!
नमो मनुष्य की शुभेषणा-प्रचारिणी!
नवीन सूर्य की नयी प्रभा,नमो, नमो!

हम न किसी का चाहते तनिक, अहित, अपकार।
 प्रेमी सकल जहान का भारतवर्ष उदार।
 सत्य न्याय के हेतु फहर फहर ओ केतु
 हम विचरेंगे देश-देश के बीच मिलन का सेतु
 पवित्र सौम्य, शांति की शिखा, नमो, नमो!

तार-तार में हैं गुंथा ध्वजे, तुम्हारा त्याग!
दहक रही है आज भी, तुम में बलि की आग।
 सेवक सैन्य कठोर हम चालीस करोड़
 कौन देख सकता कुभाव से ध्वजे, तुम्हारी ओर
 करते तव जय गान वीर हुए बलिदान,
अंगारों पर चला तुम्हें ले सारा हिन्दुस्तान!
प्रताप की विभा, कृषानुजा, नमो, नमो!

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