Madhu varma

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लेखनी कविता -लेन-देन -रामधारी सिंह दिनकर

लेन-देन -रामधारी सिंह दिनकर

लेन-देन का हिसाब
 लंबा और पुराना है।

 जिनका कर्ज़ हमने खाया था,
उनका बाकी हम चुकाने आये हैं।
 और जिन्होंने हमारा कर्ज़ खाया था,
उनसे हम अपना हक पाने आये हैं।

 लेन-देन का व्यापार अभी लंबा चलेगा।
 जीवन अभी कई बार पैदा होगा
 और कई बार जलेगा।

 और लेन-देन का सारा व्यापार
 जब चुक जायेगा,
ईश्वर हमसे खुद कहेगा -

तुम्हारा एक पावना मुझ पर भी है,
आओ, उसे ग्रहण करो।
 अपना रूप छोड़ो,
मेरा स्वरूप वरण करो।

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