Madhu varma

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लेखनी कविता - घर आवो जी सजन मिठ बोला -मीरां

घर आवो जी सजन मिठ बोला -मीरां 

घर आवो जी सजन मिठ बोला।

 तेरे खातर सब कुछ छोड्या, काजर, तेल तमोला॥

 जो नहिं आवै रैन बिहावै, छिन माशा छिन तोला।

'मीरा' के प्रभु गिरिधर नागर, कर धर रही कपोला॥

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