Madhu varma

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लेखनी कविता -उत्तर -महादेवी वर्मा

 

मेरे बिखरे प्राणों में, 
सारी करुणा ढुलका दो,
मेरी छोटी सीमा में, 
अपना अस्तित्व मिटा दो!

पर शेष नहीं होगी यह, 
मेरे 

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