Madhu varma

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लेखनी कविता - जीवन दीप -महादेवी वर्मा

जीवन दीप -महादेवी वर्मा 

किन उपकरणों का दीपक,
किसका जलता है तेल?
किसकी वृत्ति, कौन करता
 इसका ज्वाला से मेल?

शून्य काल के पुलिनों पर-
जाकर चुपके से मौन,
इसे बहा जाता लहरों में
 वह रहस्यमय कौन?

कुहरे सा धुँधला भविष्य है,
है अतीत तम घोर ;
कौन बता देगा जाता यह
 किस असीम की ओर?

पावस की निशि में जुगनू का-
ज्यों आलोक-प्रसार।
 इस आभा में लगता तम का
 और गहन विस्तार।

 इन उत्ताल तरंगों पर सह-
झंझा के आघात,
जलना ही रहस्य है बुझना -
है नैसर्गिक बात !

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