Madhu varma

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लेखनी कविता - बीत गये दिन भजन बिना रे -कबीर

बीत गये दिन भजन बिना रे ।


भजन बिना रे, भजन बिना रे ॥

बाल अवस्था खेल गवांयो ।

जब यौवन तब मान घना रे ॥

लाहे कारण मूल गवाँयो ।

अजहुं न गयी मन की तृष्णा रे ॥

कहत कबीर सुनो भई साधो ।

पार उतर गये संत जना रे ॥

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