Madhu varma

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लेखनी कविता -मेरी चुनरी में परिगयो दाग पिया

मेरी चुनरी में परिगयो दाग पिया।


पांच तत की बनी चुनरिया

सोरह सौ बैद लाग किया।

यह चुनरी मेरे मैके ते आयी

ससुरे में मनवा खोय दिया।

मल मल धोये दाग न छूटे

ग्यान का साबुन लाये पिया।

कहत कबीर दाग तब छुटि है

जब साहब अपनाय लिया।

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