Madhu varma

Add To collaction

लेखनी कविता -तेरे वादे पर जिये हम - ग़ालिब

तेरे वादे पर जिये हम / ग़ालिब


तेरे वादे पर जिये हम, तो यह जान, झूठ जाना,
कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर एतबार होता ।

   0
0 Comments