Madhu varma

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लेखनी कविता -पिकनिक - बालस्वरूप राही

पिकनिक / बालस्वरूप राही


बाकी तो सब लगती झिकझिक,
सबसे अच्छी लगती पिकनिक।

बैठ मज़े से बस में जाते,
गाने गाते, शोर मचाते।

खाते-पीते, मौज उड़ाते,
गप्प मारते, जोक सुनाते।

करने जाते सैर-सपाटा,
मम्मी-डैडी को कर टाटा।

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