Madhu Arora

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कवि

कवि
कल्पना बहती तुम्हारे अंदर,
कवि हो तुम भावनाओं में बातें करो
 कभी प्यार,कभी गुस्सा, कभी करूणा,
क्रंदन बन जाता है।
कभी मीरा की भक्ति,
कभी शबरी की गाथा कह जाता है।
कवि तो कल्पना में बहता जाता,
कल्पना करता रहता हरदम।
शब्द बोल वह मुस्काता,
लेखन उसका प्रिय लगे।
हृदय को देखो सबके छू जाता,
मोती से शब्द होते सबके,
आत्मसात हो जाते हैं।
कवि तो बस थोड़ी वाहवाही चाहे।
थोड़ा तुम्हारा अपनापन चाहे।
कल्पना  सुंदर जग की करता
सबके हित की कामना करता,
अथाह उत्साह लोगों में भरता।
देश के हित काम करता।
              रचनाकार ✍️
              मधु अरोरा
        17.12.2022

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3 Comments

Sachin dev

18-Dec-2022 01:28 PM

Shandar 🌺

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Abhinav ji

18-Dec-2022 09:07 AM

Very nice👍

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Renu

18-Dec-2022 06:22 AM

बहुत खूब 👍👍🌺

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