कवि

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कवि कल्पना बहती तुम्हारे अंदर, कवि हो तुम भावनाओं में बातें करो  कभी प्यार,कभी गुस्सा, कभी करूणा, क्रंदन बन जाता है। कभी मीरा की भक्ति, कभी शबरी की गाथा कह जाता ...

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