लेखनी कविता -हिमालय - बालस्वरूप राही
हिमालय / बालस्वरूप राही
केवल ऊँचा नहीं हिमालय,
दर्पण- सा निर्मल भी है,
इसमें मानसरोवर वाला
अमृत जैसा जल भी है।
यह ऋषियों की तपोभूमि है,
यहाँ देवता बसते है,
इसमे स्वर्गलोक तक जाने-
वाले अद्भुत रहते है।
केवल मुकुट नहीं भारत का
रक्षक बना अनूठा है,
इसे जीतने का दावा जो
भी करता वह झुठा है।