Madhu varma

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लेखनी कविता - इस सुकूते ‍फ़िज़ा में खो जाएं - फ़िराक़ गोरखपुरी

इस सुकूते ‍फ़िज़ा में खो जाएं / फ़िराक़ गोरखपुरी


इस सुकूते ‍फ़िज़ा में खो जाएं
आसमानों के राज हो जाएं

हाल सबका जुदा-जुदा ही सही
किस पॅ हँस जाएं किस पॅ रो जाएं

राह में आने वाली नस्लों के
ख़ैर कांटे तो हम न बो जाएं

िज़न्दगी क्या है आज इसे ऐ दोस्त
सोच लें और उदास हो जाएं

रात आयी फ़ि‍राक दोस्तो नहीं
किससे कहिए कि आओ सो जाएं

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